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बसंत और जुदाई …………

mothers day
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कुछ लोग ज़िंदगी में ऐसे होते है जो आते तो पल भर के लिए हैं ,लेकिन यादें ज़िंदगी भर के लिए छोड़ जाते हैं .बसंत के इस मौसम में जब हर और प्यार के रंग बिखरे हैं तब मुझे हर पल एक ही शख्स याद आता है .
सालों गुजर गए इस बात को ,तब शायद मैं १५ – १६ साल कि रही हूंगी . जब हम बढ़ती उम्र में होते हैं तब किसी का देखना ,मुस्कुराना हमे अच्छा लगता है .उस समय प्यार का मतलब तो पता नहीं होता लेकिन बस किसी को देखना ,उससे बातें करना ,उसकी हर अच्छी बुरी बात पे खुश होना …….बस यही ज़िंदगी का हिस्सा बन जाता है .और मेरे साथ भी ऐसा ही हुआ .मैं भी किसी को देखकर खुश होती थी .हर पल बस यही लगता था कि हैम दोनों एक – दूसरे को देखते रहें , बातें करते रहें ,बस यही ज़िंदगी हसीं लगती थी .दिन रात उसी का साथ उसी के बारे में सोचना बस यही अच्छा लगता था .इसी तरह ३-४ साल कब बीत गए पता ही नहीं चला और धीरे धीरे हम दोनों को लगने लगा कि हम एक दूसरे से प्यार करने लगे हैं और एक दूसरे के बिना रह नहीं सकते .
फिर एक दिन उसे नौकरी के लिए दूसरे शहर जाना पड़ा .हम दोनों को अलग होना अच्छा नहीं लग रहा था ,लेकिन मज़बूरी थी .सोचा भविष्य में साथ रहने के लिए अभी अलग होना अच्छा है .अब रोज का मिलना दिनों में बदल गया .१५-२० दिन में मिलना हो पता था ,पैर हम खुश थे .
कि अचानक ज़िंदगी में तूफ़ान आ गया .कुछ परिस्तिथियों के कारण मुझे भी वो शहर छोड़ना पड़ा .ऐसे समय जाना पड़ा जब वो भी शहर में नहीं था ,और मेरे पास उसे ये बताने के लिए कोई कॉन्टेक्ट भी नहीं था .
जो सपने हमने साथ साथ देखे थे ,वो सपने सपने ही बन के रह गए .इस प्यार के मौसम में जब लोग एक दूसरे से मिलते है तब हमे एक दूसरे से बिछड़ना पड़ा
बसंत हमारे लिए मिलन का नहीं जुदाई का मौसम बन के आया …………

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