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धीरे – धीरे छिपते छिपाते बसंत ने हमारे दरवाजे पे दस्तक देनी शुरू कर दी है .हर जगह इसकी झलक दिखायी देने लगी है . पेड़ पौधों पे नयी कोपलें आने लगी है , पलाश पे फूल खिलने लगे हैं , आम पे बौर आने लगे हैं ,भँवरे की गुंजन सुनाई देने लगी है ,कोयल कूकने लगी है ,खेतों में पीली सरसों की चादर बिछ गयी है . हलकी ठंडक के साथ धुप की तेजाई महसूस होने लगी है .
दिन तो खुशनुमा लगने लगे है रातें भी सुहाने लगने लगी है . इन खूबसूरत नज़ारों के साथ ही हमारे तन और मन में खुमारी चढ़ने लगी है . प्रकृति का इतना सुंदर रूप देख के हमारा मन भी प्रसन्नता से भर जाता है .इतने सुंदर नजारों को देखकर किसके मन में प्यार के फूल नहीं खिलेगे .हम अपने आप ही किसी को अपने करीब महसूस करने लगते हैं . अपने साथी के साथ प्यार भरी बातें करना हमें अच्छा लगने लगता है .
ये मौसम और ये समां हमारे तन और मन को भी खिला देता है . तब ही तो बसंत के मौसम को प्यार का मौसम यूँ ही तो नहीं कहते ?
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