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रिश्ते और मन ……………..

mothers day
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जिंदगी भर किसी ऐसे रिश्ते को निभाना जो बोज लगने लगे उसे निभाने से तो अच्छा है क वो रिश्ता तोड़ दिया जाये .क्या करोगे ऐसे रिश्ते में बंधकर जहाँ प्यार न हो ,इज्जत न हो,विश्वास न हो,एक दुसरे की परवाह न हो सम्मान न हो.ताली कभी भी एक हाथ से नहीं बजती .अगर एक इंसान रिश्ते को संभालने के लिए पूरा जोर भी लगा दे और दूसरा जरा सी कोशिश भी न करे ऐसे रिश्ते का होना न होना बराबर है .मन के हर रिश्ते को निभाने के लिए थोड़े संयम थोड़ी कोशिश की जरुरत होती है .छोटी छोटी बातो को अवाइड करना जरुरी होता है लेकिन एक इंसान दूसरे की हमेशा बेइज्जती करता रहे तो ऐसे रिश्ते को निभाने में कैसी भलाई है ?
हाँ जब रिश्ता बनाया जाये तो उसे पूरी इमानदारी से निभाया जाये फिर वो रिश्ता चाहे खून का हो या जान पहचान का .कभी कभी कुछ रिश्ते जन्म के रिश्तो से भी ज्यादा मजबूत होते है .रिश्ता चाहे दोस्ती का हो ,प्यार का या कोई और ,हर रिश्ते में स्पेस का होना भी जरुरी है .आपका रिश्ता किसी से कितना भी क्लोज क्यों न हो लेकिन उस रुश्ते में थोड़ी सी दूरी भी होना जरुरी है .हर इंसान के लिए कुछ पल सिर्फ उसके अपने होते है जिसे वो और किसी के साथ बाँटना नहीं चाहता है .हर इंसान के दिल का एक कोना सिर्फ उसके अपने लिए होता है .हम और आप सबके मन में भी यही होता है . ये हम सबकी बात है .कभी कभी हमकिसी चीज को,किसी बात को किसी और के साथ शेयर नहीं करना चाहते .कभी कभी हम अकेले रहना चाहते है .मन की सब लोग हमारे आसपास होते है ,हमारी चिंता करते हैं फिर भी हमें कभी कभी अकेले रहने का मन करता है . आप भी सोच रहे होंगे की मैंने बात कहाँ से शुरू की थी और कहाँ पे आ के ख़तम की .लेकिन दोस्तों ऐसा ही तो हम सबका मन है जो कभी कुछ सोचता है और कभी कुछ और सोचने लग जाता है .तो आज जो मेरे मन में बात आई वो मई आप सबसे कहती चली गयी . तो बस इतनी सी है बात………………………………………………………………………

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